शुक्रवार, 27 जनवरी 2012

अयोध्या दर्शन पर विशेष.










कितनी मांगी मन्नत मैंने बना न कोई काम मेरा.

श्री राम आप की जन्म -भूमि को बारम्बार प्रणाम मेरा



दशरथ महल विशाल जहाँ के साधु-संत हैं ऐसे.

देते देते ख़त्म हों गये जेब के सारे पैसे.

जाने कहाँ विलीन हों गये सब अस्तित्व पुराने.

सीता जी के शयन कक्ष में बजते फ़िल्मी गाने.



मौका मिले तो नंगा कर दें और लगा दें दाम मेरा.

श्री राम आप की जन्म -भूमि को बारम्बार प्रणाम मेरा



सब गृहस्थ कंगाल हों गये तपसी खाय मलाई.

राम-राज्य में भीख मांगती जनता पड़ी दिखाई .

गुरु वशिस्ठ घुस गये महल में राम हुए बनवासी

जन्म-भूमि में तनी झोपड़ी छाई यहाँ उदासी.



यह चंचल माँ यही सोच कर हों न जाय बदनाम मेरा.

श्री राम आप की जन्म -भूमि को बारम्बार प्रणाम मेरा



बड़ी धाक थी जहाँ भरत के सब्द भेदते बाणों की

वहीँ मिलिट्री रक्षा करती राम लला के प्राणों की.

हनुमान जस वीर जो लाये लंका जारि सुखेना.

उनकी करे चौकसी दिन भर अब भारत की सेना.



क्या जाए कब बंदूकों से कर दें काम तमाम मेरा.

श्री राम आप की जन्म -भूमि को बारम्बार प्रणाम मेरा



राम-लखन ने जिसके दम पर लंका को था जीता.

कभी अयोध्या लाई जिसने जनक-नंदिनी सीता.

भूंखे-प्यासे दिन भर घूमें कौन इन्हें पहचाने.

पंगत की जूठन खाने को फिरते हैं दीवाने.



इस खाने की भाग दौड़ से जीना हुआ मुहाल मेरा .

श्री राम आप की जन्म -भूमि को बारम्बार प्रणाम मेरा



प्रभु कुछ करो प्रयास की जिससे वहां आप की पूजा हों.

पहले राम-लखन सीता हों फिर बजरंगी दूजा हों.

सरयू की महिमा पहचाने बस जाये माँ प्राण यहाँ.

पत्थर-पत्थर पूज्य हों जिसका हों मंदिर निर्माण वहां.



तब हनुमान गढ़ी का आंगन होगा पूर्ण विराम मेरा.

श्री राम आप की जन्म -भूमि को बारम्बार प्रणाम मेरा


जय सिंह "गगन"

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