कविता
घर के बगल का मुरारी,
सब्जी का ब्यापारी,
पुत्र-रत्न प्राप्ति का सुख पाया.
सुबह-सुबह मेरे घर आया.
हमने कहा-आओ आओ मुरारी भाई,
बेटे के जन्म की तुम्हें हार्दिक बधाई.
कहो- माँ पर गया है,
या तुम्हारे जैसा है.
बच्चे का स्वास्थ्य कैसा है.
उसने कहा-साहब इस बार तो मत पूछिये,
ग़ज़ब का नवाज़ा है.
कहिए तो भेज दूँ,
एकदम ताज़ा है.
जय सिंह "गगन"
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