शुक्रवार, 27 जनवरी 2012

कविता


कविता


बात है करीबी,

मरकर स्वर्ग पंहुची बीबी,

के सब्र का बाँध टूटा.

उसने एक उदास दूसरी महिला से पूछा,

यार मेरी किस्मत तो हो गई पराई.

पर यह बता-तूँ इस जवानी में यहाँ कैसे आई.

उसने कहा-मेरी मौत के पीछे,

मेरे प्रेमी की लुगाई है.

उसी ने मेरी यह गति बनाई है.

प्रणय काल में लुगाई का अचानक आना.

प्रेमी द्वारा मुझे फ्रीजर में छुपाना,

समझो तकदीर सड़ गई थी.

जब तक फ्रीजर खुलता,

ठंड से अकड़ गई थी.

पर यार एक बात मेरी समझ से परे है.

तूँ सुंदर,जवान,शादीशुदा,

तूँ यहाँ क्या करे है.

बीबी बोली-अरी मेरी तो किस्मत ही,

मुझसे खपा है.

मेरा पति एक नंबर का बेवफा है.

मेरे घर पर ना रहने पर,

अपनी प्रेमिकाएँ बुलाता है.

घर पर खिलाता है सुलाता है.

एक दी मैने एक कलमुंही को जकड़ना चाहा.

उसे रंगे हाथो पकड़ना चाहा.

बाहर जाने का करके बहाना

ठाना मैने उसे सबक सिखाना.

दिमाग़ गरम मान सख़्त था

यही कोई ढाई बजे दोपहर का वक्त था.

बंद कुण्डी,बंद दरवाजे

अंदर से महिला की आवाज़ें,

मेरा हाल बेहाल,

चेहरा गुस्से से लाल,

धीरे से खिड़की का परदा सरकाया,

अंदर का मांजरा समझ में आया.

फेंक कर एक तरफ झोला

हाथ डाला और कुण्डी को खोला

सोचा अब की बार कहाँ जाएगी

भागी तो रंगे हाथ पकड़ाएगी

अंदर पति देव फ्रिज के सामने

टी वी में मस्त 
.
हम चुप-छाप सौतन को

खोजने में व्यस्त .

बेतहाशा गर्मी,बुरा हाल,

पर फिर भी मान में बस एक ही सवाल,

न यहाँ न वहाँ,

आखीर वह गई कहाँ?

सोच-सोचकर दिमाग़ का पारा चढ़ा.

टेंशन से ब्लड-प्रेशर बढ़ा.

मान में प्यास जागी.

सीधे फ्रिज की तरफ पानी हेतु भागी.

मगर तभी पति की बेवफ़ाई से एक

जोरदार झटका इस दिल ने खाया.

मेरी आवाज़ के बावजूद

न तो उन्होंने फ्रिज खोली

और न ही पानी पिलाया.

याद्दपि मैं जानती हूँ

मौत की वजह सिर्फ़ पानी है,प्यास है.

पर पति की बेवफ़ाई से

दिल आज भी उदास है.

बीबी की व्यथा सुन

प्रेमिका ने उदास मान से कहा-

यार तेरा पति तुझे पानी कैसे देता

वह हीन था.

क्योंकि पास रखा फ्रिज ही

पिक्चर का क्लाइमेक्स सीन था.

तेरे पति को उसके खुलने का भय था.

क्योंकि यदि वह खुल जाता तो

हम दोनो का बचना तय था.

       जय सिंह "गगन"

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें