शुक्रवार, 27 जनवरी 2012

मैं जोतिशी थोड़े हूँ.


      कविता


कल शाम की बात,

रामू के बच्चे से हो गई मुलाकात,

मैने कहा-वाह बच्चू कर्ज़ लेकर,

इसी तरह भूल जाएगा.

बोल मेरा पैसा कब लौटाएगा.

उसने कहा-साहब मैं वैसे ही मरा हूँ.

उपर से आप और

मुझे ही चूसते हैं.

अरे मैं कोई जोतिशी थोड़े हूँ,

जो आप मुझसे पूछते हैं.

                जय सिंह "गगन"

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