कविता
कल शाम की बात,
रामू के बच्चे से हो गई मुलाकात,
मैने कहा-वाह बच्चू कर्ज़ लेकर,
इसी तरह भूल जाएगा.
बोल मेरा पैसा कब लौटाएगा.
उसने कहा-साहब मैं वैसे ही मरा हूँ.
उपर से आप और
मुझे ही चूसते हैं.
अरे मैं कोई जोतिशी थोड़े हूँ,
जो आप मुझसे पूछते हैं.
जय सिंह "गगन"
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