गगन
गुरुवार, 26 जनवरी 2012
कोई लैला इस मजनू को बुलाए तो सही.
आसमाँ पर मेरा चाँद नज़र आए तो सही.
चीर कर पर्वतों कोबहा देंगे प्यार की नदियाँ,
कोई सीरी इस फरहाद को आज़माए तो सही.
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