गगन
इंतज़ार
कोई कह दे की अब उनको निरखना छोड़ दें आँखें
.
की उनकी याद में बिन मौसम बरसना छोड़ दें आँखें.
जो अपना था कभी अब हो चुका शायद पराया है,
कि अब दीदार को उनके तरसना छोड़ दें आँखें.
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