जुदाई.





दिल टूटा,और सांस रुकी, पर नाम जुबां पर आता है.

मधुर मिलन का यह मौसम, फिर झूठी आस जगाता है.

पत्तों से झरने लगते हैं , नगमें, तेरी जुदाई के,

जब भी कोई अकेला पंछी, डाली पर दिख जाता है.

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