गगन
जुदाई.
दिल टूटा,और सांस रुकी, पर नाम जुबां पर आता है.
मधुर मिलन का यह मौसम, फिर झूठी आस जगाता है.
पत्तों से झरने लगते हैं , नगमें, तेरी जुदाई के,
जब भी कोई अकेला पंछी, डाली पर दिख जाता है.
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