कविता
रात को जब बेटा
बिस्तर पर सोने आया
तो मुझे वहाँ से नदारत पाया.
बोला-मम्मी हम सब तो यहीं हैं
फिर पापा कहाँ गये
वो तो यहाँ नहीं हैं
पत्नी ने मज़ाक में कहा-
बेटा तुम्हारे पापा
हमें इसी तरह से सताते हैं
रोज रात को सोते समय
बिस्तर से गिर जाते हैं
हो सकता है आज फिर
रास्ता भटक गये हों
बिस्तर से गिर कर कहीं
आंटॅक गये हों.
यह सुनते ही
बेटे का चंचल मन डोला
वा अपनी सूझ-बूझ से बोला
कोई बात नहीं मम्मी
बिस्तर के नीचे अंधेरा है,
हम वहाँ हाथ नहीं डालेंगे
सुबह रामू काका जब झाड़ू मारेंगे
तो पापा को निकलेंगे.
जय सिंह :"गगन"
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