गगन
रविवार, 20 जनवरी 2013
वंदन.
तुम चाहो तो पत्थर समझो, ठुकराओ बेजान समझ कर.
पर मैं तो पूजा करता हूँ, पत्थर भी भगवान समझ कर.
"गगन"
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें