गगन
बुधवार, 12 मार्च 2014
एक अरदाश.
तेरे जुल्फों की खुशबू से मदहोशी सी छा जाती है.
हो सके अगर तो ख़त मेरे सिरहाने रख कर मत सोना.
जय सिंह"गगन"
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