बुधवार, 20 मार्च 2013

कलयुग बड़ा प्रबल हइ प्रभु जी.



बघेली कविता.
कलयुग बड़ा प्रबल हइ प्रभु जी.



भक्त हमा भक्तइ कस देखा ओनका कष्ट न दीन्हे.
कलयुग बड़ा प्रबल हइ प्रभु जी कबउ जनम न लीन्हे.

चारि साल से भईसिउ देखा एकउ नहीं बियानी.
माखन मिसिरी दूध मलाई मिला होइ त जानी.
मोल दूध के पइसा खातिर रोज़िगारी हाँ घेरे.
तरछी भर छाछ नाचइ क कहउ मिली न हेरे.

दहिउ समझि कइ रितई दोहनी फोरि-फारि न दीन्हे.
कलयुग बड़ा प्रबल हइ प्रभु जी कबउ जनम न लीन्हे.

रास रचउबे गारी देइहीं बिटिअन कइ महतारी.
पुलिस पकडि थाने पहुँचाई बीसन गोदा मारी.
कहँउ जमानतदार न मिलिहीं कउनउ जुगुति के लागे.
बड़ी पतनि बसुदेव क होई एह समाज के आगे.

काज-बिआह क केउ न पूछी अइसन करम न कीन्हे.
कलयुग बड़ा प्रबल हइ प्रभु जी कबउ जनम न लीन्हे.

चीरहरण क जमुना तट पर तूँ रहि जाबे गेरे.
पछिउहीं संस्कृति म देहें ओन्ना मिली न हेरे.
आपन भेष बदलि ले देखा करा न तूँ मनमानी.
लदर-फदर म घास न डलिहीं कउनउ राधा रानी.

बनी ठनी गोपिनि क देखिकइ तूँ पछीआइ न लीन्हे.
कलयुग बड़ा प्रबल हइ प्रभु जी कबउ जनम न लीन्हे.

इहन कालिया बिलि मा घुसि कइ पउआ अद्धी छानी.
जमुना जी मा मिली न हेरे कहँउ बूँद भर पानी.
चरनोई के भूमि मा बटि गा अतना बड़ा गोबरधन.
मेघन के बरसे मा धारण का करबे यदुनन्दन.

पटवारिनि का काहे आपन ब्रह्म लेखनी दीन्हे.
कलयुग बड़ा प्रबल हइ प्रभु जी कबउ जनम न लीन्हे.

दादा बनिकइ कहउ जो देखा कन्श क नटई दाबे.
हत्या केर मुक़दमा लागी चउदह साल क जाबे.
महिलन के आयोग क नेता हबइ पूतना माई.
बक्क-बाइ जो ओसे करबे सीधे जेल देखाई.

गोरि-नारि वरदी धारिनि से छेड़-छाड़ न कीन्हे.
कलयुग बड़ा प्रबल हइ प्रभु जी कबउ जनम न लीन्हे.

गारी-फुद्दा देबइ करिहीं केउ न तरबा चाटी.
चक्र शुदर्शन शिशुपाल क कतनी नटई काटी.
अवैध शस्त्र क बनी मुक़दमा बड़ा पचेड़ा अँटकी.
टाडा लागी अउ तिहाड़ म लइनि जाइ कइ पटकी.

घर-दूआर जसुमति मईआ क राजसात न कीन्हे.
कलयुग बड़ा प्रबल हइ प्रभु जी कबउ जनम न लीन्हे.

ओसामा कस कतना घूमत हँ बारह नंबर टांगे.
अर्जुन क गांडीव धइजई एटम बम के आगे.
अब पंचर बनबाबइ खातिर कर्ण न परिखी देखा.
काटि-छाटि फुरसति कइदेई सगली जीवन रेखा.

दगी मिसाईल जीत-हार का कबउ न दाबा कीन्हे.
कलयुग बड़ा प्रबल हइ प्रभु जी कबउ जनम न लीन्हे.

बमवर्षक विमान लइ छाती इहन पितामह चडिहीं.
दुर्योधन शकुनी पांडव क राति-विराति कइ तडिहीं.
हाइड्रोजन बम से इ धरती बीचइ-बीच म फाटी.
उमर बनी अश्वत्थामा औ सीधे नटई काटी.

कालयवन बनि बुश बइठा हइ आपन प्राण न दीन्हे.
कलयुग बड़ा प्रबल हइ प्रभु जी कबउ जनम न लीन्हे.

एँह से पहिले एंह सृष्टि क प्रभु विनाश कइ देते.
ओके बाद अकेले छुट्टा इहन जनम तूँ लेते.
माखन मिशिरी दूध मलाई फटे हाल सब खाते.
रास रचउते गोपिनि के संग दबा पान बिदूराते.

जब लीन्हे अवतार जगत म "गगनउ" क तूँ चीन्हे.
कलयुग बड़ा प्रबल हइ प्रभु जी कबउ जनम न लीन्हे.

जय सिंह"गगन"

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