मंगलवार, 19 मार्च 2013

परधानी.




बघेली कविता
परधानी.
हारि गएँ जिमीदार,राजा औ रानी.
रमुआ कई मेहरारू जीति गइ प्रधानी.

खूब बँटा दारू औ कटा रोज भईसा.
घरे-घरे बरसा तइ झमाझम पईसा.
चला नही दाउँ-पेंच आँचा अउ पांचा.
मतदाता मारि दिहिनि मुहे माँ तमाचा.

फँसा जउन बपुरा त उहई मज़ा जानी.
रमुआ कई मेहरारू जीति गइ प्रधानी.

गाउँ के एहँ चुनाउ माँ भइ बिपत्ति भारी.
टोरि दिहिनि खानदान नेउता अउ सुपारी.
जे जहाँ मानिनि तइ जउन बोट आपन.
ओनकर त होइग चुनाउ म समापन.

रामदीन छोडि दीहिनि गाउँ क जजमानी.
रमुआ कई मेहरारू जीति गइ प्रधानी.

ई चुनाउ एहँ समय सबसे बड़ा मुद्दा.
घरे-घरे मचा हबइ गारी अउ फुद्दा.
आपन सरकारि आई अपने दुआरे.
अपसइ म लड़ा रहाँ पनही उतारे.

मरत हमाँ महतारी-बाप बिना पानी.
रमुआ कई मेहरारू जीति गइ प्रधानी.

पहिले जब मिलाँ कबउ कइतिआइ भागाँ.
आजु गिरा गोड़े अउ परनामी दागाँ.
पनिअउ अछूत कहाँ कबउ होइ नेउता.
ओनहिनि क पूजि रहें मंदिर कस देउता.

कलुई चमारिनि भइ दुर्गा महरानी.
रमुआ कई मेहरारू जीति गइ प्रधानी.

ओह दारी जब तोहँका जिताइसि तइ जनता.
पाँच साल रोइ कइ बिताईसि तइ जनता.
पढ़े-लिखे कतना हुशिआर रहे काकू.
नहीं करे कुछू तूँ बेकार रहे काकू.

खाए हइ चीनी अउ चाउर मनमानी.
रमुआ कई मेहरारू जीति गइ प्रधानी.

एह डिगरी धारिनि से अउठइ हइ अच्छा.
थोर बहुत जउन करी काम करी सच्चा.
कहउ करइ नागा त सब जन मिलि टोंका.
जउन करइ नीक करइ ग़लत करइ रोका.

"गगन" करी जनता अब तोहरउ निगरानी.
रमुआ कई मेहरारू जीति गइ प्रधानी.

जय सिंह"गगन"

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