शुक्रवार, 13 अप्रैल 2012

पहचान.



सांसों में वो बसा, था सबसे करीब था.

मेरा ही हम सफर, मेरा रकीब था.

1 टिप्पणी:

  1. आप का तह-ए-दिल से शुक्रिया रानी मैडम......आशा है आगे भी आप की ऐसी ही खूबसूरत कमेंट्स से कलम की हौसला आफजाई होती रहेगी.

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