शनिवार, 6 अप्रैल 2013

हाइ रे जनपद.



बघेली कविता.
हाइ रे जनपद.


हाइ रे जनपद हाइ रे जनपद,पइसइ पइसा खाइ रे जनपद.
हरियर हरियर नोट देख़ाबा,देखइ त बिदुराइ रे जनपद.

जाइ के सगली आफ़िस देखा,अइसन कहँउ न पउबे.
कउनउ काम कराबइ खातिर,खीस निपोरे धउबे.
फ़ाइल टाँग पसारे सोइहीं एंह खिरकी ओंह अरबा म.
बाबू पुछबे कहाँ हमा त पता चली के मोरबा म.

पूजत-पूजत एंह देउतन क उमर चली अधिआइ रे जनपद.
हाइ रे जनपद हाइ रे जनपद,पइसइ पइसा खाइ रे जनपद.

एकौ नहीं फ़ायदा दादू एनसे सीना जोरी मा.
चढ़ी साइकिल सीधे फ़ाइल पहुँची जाइ तिजोरी मा.
अइसन रही पटउहें माही जस कजही मेहरारू.
पूछइ जाबे कहिहीं तोहसे चला पियाबा दारू.

बिना तपउना सुनइ न एकउ बस बिगड़इ रिसिआइ रे जनपद.
हाइ रे जनपद हाइ रे जनपद,पइसइ पइसा खाइ रे जनपद.

करजा के मंज़ूरी खातिर एनके लगे तूँ जाबे.
फारम भरतइ बिना कर्ज़ के कर्ज़दार बनि जाबे.
सउहँइ सउहँ कहित हइ देखा दोष हमार न दीन्हें.
घोष देइ क पइसा होई तबइ कर्ज़ तूँ लीन्हें.

चारि हज़ार के करजा खातिर चालीस देइ लगाइ रे जनपद.
हाइ रे जनपद हाइ रे जनपद,पइसइ पइसा खाइ रे जनपद.

साँझि सकारे करबे पूजा पाछे पाछे धउबे.
गाइ भइंसि क भरबे फारम तब बोकरी तूँ पउबे.
ओहूँ माही कहिहीं तोहसे हुशियारी ना छाटा.
तोहइनि भर क मिला हइ करजा सीधे मुरगा काटा.

देखत देखत छीनइ भरे म फ़ाइल जाइ हेराइ रे जनपद.
हाइ रे जनपद हाइ रे जनपद,पइसइ पइसा खाइ रे जनपद.

चाहइ बरहउ होइ घरे म चाहइ होइ सतइसा.
जच्चा बच्चा दूंनहूँ पइहीं एंह जनपद से पइसा.
सोंठी सोठउरा के पइसा क ताके हाँ मेहरारू.
मुरगा अंडा छानि रहें इ छलकि रहा हइ दारू.

मेटरनिटी क परिखे परिखे दुलही गयीं बुढाइ रे जनपद.
हाइ रे जनपद हाइ रे जनपद,पइसइ पइसा खाइ रे जनपद.

आगनबाड़ी केर नियुक्ति सबसे बड़ा हइ मुद्दा.
जउने खातिर गाँउ- गाँउ म मचा हइ गारी-फुद्दा.
गहना गुरिया मोल लेइ क छिटके हाँ व्यापारी.
देबे-ळेबे तबइ बनइहीं दुलही क अधिकारी.

बिन नेउछाबरि कबउ न होई कतनउ कहइ बताइ रे जनपद.
हाइ रे जनपद हाइ रे जनपद,पइसइ पइसा खाइ रे जनपद.

शिक्षा कर्मी बनइ के खातिर मची हइ मारामारी.
लइकइ फारम घूमि रही हाँ लरिकन कइ महतारी.
रमुआ देहे हइ पइसा बलभर लात तानि कइ सोई.
बिन रूपिया के आबा-जा तूँ कबउ चयन न होइ.

गहना गुरिया खेत बेचाने भिक्षा दिहिसि मगाइ रे जनपद.
हाइ रे जनपद हाइ रे जनपद,पइसइ पइसा खाइ रे जनपद.

जे.जी.एस. म मिली न हेरे लकड़ी केर बुरादा.
गामउ केर भिखारी पामा मूलभूत से जादा.
बांकी पइसा घूमि रहा हइ दिल्ली अउ भोपाल म.
उलझे हाँ सरपंच इहन सब कागज के जंजाल म.

दुनिया भर क तबउ रिकभरी सीधे देइ चढ़ाइ रे जनपद.
हाइ रे जनपद हाइ रे जनपद,पइसइ पइसा खाइ रे जनपद.

हम तउ कहिथे खींचा खांचा कहँउ दुक्ख न रोबा.
ग्राम-सभा क धरा मुड़उसे लात तानि कइ सोबा.
मीटिंग सीटिंग मारा गोली अन्च पंच क छोड़ा.
दउडि रहा हइ काल्हिउ दउड़ी ई कागज क घोड़ा.

बचइ-खुचइ क एंह दुनिया म कतनिउ हमा उपाइ रे जनपद.
हाइ रे जनपद हाइ रे जनपद,पइसइ पइसा खाइ रे जनपद.

साल तमाम म खाता माही दस पचास जो आबा.
पास करबइ जाबे कहिहीं आधा पइसा लाबा.
चर्चा एकर कहउँ न कीन्हे बुद्धिमान जो बनबे.
रगड़ी देब मूल्याकन माही खीस निपोरे बगबे.

का मतलब हइ एनसे चाहइ जनता मरइ-हेराइ रे जनपद.
हाइ रे जनपद हाइ रे जनपद,पइसइ पइसा खाइ रे जनपद.

हम सब क बरबाद करइ म सगला हमा उतारू.
दबा पान बिदूराइ रहें जस कोठा कइ मेहरारू.
जनता अइसन चुनिसि जउन के सुख-दुख ओनकर बाँटइ.
अइसन नहीं के मुहइ देखाबत लागइ छाती फाटइ.

घोंस अकोर म नटई पाबइ सीधे देइ दबाइ रे जनपद.
हाइ रे जनपद हाइ रे जनपद,पइसइ पइसा खाइ रे जनपद.

चला चली अब घरे-दुआरे कइले मोट करेजा.
अब कउनउ आदेश मिलइ त चपरासी क भेजा.
नहीं त अउबे-जाबे होई दस-पचास क खर्चा.
कउनउ काम करइ क कहबे एनका लागी मरचा.

"गगन"छोडि दे चरचा एकर आपन जरइ-बुताइ रे जनपद.
हाइ रे जनपद हाइ रे जनपद,पइसइ पइसा खाइ रे जनपद.

जय सिंह"गगन"

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