मंगलवार, 22 जनवरी 2013

रिश्ते.



रिश्तों में रिश्ते पलते हैं,
रिश्तों से रिश्ते मिलते है.
रिश्तों की गर्मी पा कर ही,
रिश्ते हँसते हैं,खिलते हैं.
रिश्तों की थामें डोर कई,
रिश्ते अनंत तक जाते हैं.
रिश्तों से आहत रिश्तों को,
रिश्ते ही तो समझाते हैं.
रिश्तों में उपजी कड़वाहट,
रिश्तों ने ही तो साधा है.
रिश्तों की टूटी डोरी को,
रिश्तों ने ही तो बाँधा है.
रिश्तों का प्यार अनोखा है,
रिश्ते कायल कर जाते हैं.
रिश्तों की मार अनोखी है,
रिश्ते घायल कर जाते हैं.
रिश्तों के रंग निराले हैं,
रिश्ते उसमें ढल जाते हैं.
रिश्तों की इक चिंगारी से,
कितने रिश्ते जल जाते हैं.

समझो रिश्तों की कीमत को,
रिश्तों से केवल प्यार करो.
रिश्तों का हो सम्मान सदा,
दिल से रिश्ते स्वीकार करो.
जय सिंह"गगन"

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