शनिवार, 28 जुलाई 2012

बधाई प्रणव जी.



साबित सपने न हों ये हवाई प्रणव जी.
बधाई प्रणव जी, बधाई प्रणव जी.

इस कुर्शी को आती हैं नीदें बहुत.
देश को आप से है उम्मीदें बहुत.
आतंक का खौफ मन से हटे.
निकले सूरज नया यह अँधेरा छटे.

सुबह हो रोशनी से नहाई प्रणव जी.
बधाई प्रणव जी, बधाई प्रणव जी.

पहले दिन से ही आसाम रोये न फिर.
रायसीना में अफजल ये खोये न फिर.
आतंकी ये भारत से खेलें न फिर.
मुंबई कोई हमला यूँ झेले न फिर.

रोकिये,हो रही जग हसाई प्रणव जी.
बधाई प्रणव जी, बधाई प्रणव जी.

भूख से, बेबसी से, वतन है घिरा.
दुष्ट नज़रों से कुंती का तन है घिरा.
आबरू लुट रही, बेटियां कैद हैं.
चंद लोंगों के घर रोटियां कैद हैं.

घर की चौखट लगे है पराई प्रणव जी.
बधाई प्रणव जी, बधाई प्रणव जी.

है वतन जानता आप श्रष्टा बड़े हैं.
जमीं से जुड़े, दूरद्रष्टा बड़े है.
अनुभवों से चमन फिर खिल जाएगा.
जनता को लोकपाल मिल जाएगा.

भ्रष्ट सिस्टम की कर दो बिदाई प्रणव जी.
बधाई प्रणव जी, बधाई प्रणव जी.
जय सिंहगगन

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