गगन
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मेरी तनहाइयाँ
सज़दा
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याद
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माँ
माँ और बचपन
आओ सावन
चल चंदा उस देश.
तुम्हें क्या नाम दूं
आईना
दर्द
मासूम आंसू.
जुदाई.
सोच.
मर्यादा .
ख्वाहिश.
मशवरा
बज़ट
विकास देखिये.
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गुरुवार, 20 सितंबर 2012
हौसला.
किश्तिया समंदर में तूफ़ानों से संभाली है.
सूरज से अपने हिस्से की धूप भी निकाली है.
हौसला हो अगर हालात से लड़ने का तो,
लोगों ने यहाँ मौत की तारीख बदल डाली है.
"गगन"
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