गगन
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मेरी तनहाइयाँ
सज़दा
ख्वाब
याद
इंतज़ार
माँ
माँ और बचपन
आओ सावन
चल चंदा उस देश.
तुम्हें क्या नाम दूं
आईना
दर्द
मासूम आंसू.
जुदाई.
सोच.
मर्यादा .
ख्वाहिश.
मशवरा
बज़ट
विकास देखिये.
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सोमवार, 4 जून 2012
दिल्लगी .
लगी जो आग चाहत की कभी मध्यम नहीं होती.
किसी के कम समझने से मुहब्बत कम नहीं होती.
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