गगन
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मेरी तनहाइयाँ
सज़दा
ख्वाब
याद
इंतज़ार
माँ
माँ और बचपन
आओ सावन
चल चंदा उस देश.
तुम्हें क्या नाम दूं
आईना
दर्द
मासूम आंसू.
जुदाई.
सोच.
मर्यादा .
ख्वाहिश.
मशवरा
बज़ट
विकास देखिये.
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बुधवार, 13 जनवरी 2016
ख्वाब
पलकों से जो टूटे आंसू
उनको गंगाजल लिख डालूँ।
ख्वाबों का संसार सजा कर
उनको ताज महल लिख डालूँ।
भीगे भीगे होंठ हिले तो
कतरा कतरा शब्द गिरे।
शब्दों को छंदों में बाँधूं
तुम पर एक ग़ज़ल लिख डालूँ।
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