गगन
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मेरी तनहाइयाँ
सज़दा
ख्वाब
याद
इंतज़ार
माँ
माँ और बचपन
आओ सावन
चल चंदा उस देश.
तुम्हें क्या नाम दूं
आईना
दर्द
मासूम आंसू.
जुदाई.
सोच.
मर्यादा .
ख्वाहिश.
मशवरा
बज़ट
विकास देखिये.
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बुधवार, 12 मार्च 2014
गुजारिश.
मेरा दिल यूँ तडफता है बुरे हालात रोते हैं.
चले आओ अकेले हैं मेरे जज्बात रोते हैं.
ज़माने ने लगा रक्खी है जाने बंदिशें कितनी,
बिखरते ख्वाब आँखों में यूँ सारी रात रोते हैं.
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