गगन
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मेरी तनहाइयाँ
सज़दा
ख्वाब
याद
इंतज़ार
माँ
माँ और बचपन
आओ सावन
चल चंदा उस देश.
तुम्हें क्या नाम दूं
आईना
दर्द
मासूम आंसू.
जुदाई.
सोच.
मर्यादा .
ख्वाहिश.
मशवरा
बज़ट
विकास देखिये.
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रविवार, 11 अगस्त 2013
जहन्नुम यहीं है.
चंदन है,रोली है,कुमकुम यहीं है.
खुश्बू यहीं है,तरन्नुम यहीं है.
कर्मों का फल तो मिलेगा यहीं पर,
जन्नत यहीं है,जहन्नुम यहीं है.
जय सिंह"गगन"
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