गगन
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जुदाई.
सोच.
मर्यादा .
ख्वाहिश.
मशवरा
बज़ट
विकास देखिये.
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सोमवार, 25 फ़रवरी 2013
पागलपन.
पागलपन था,डूब गये, उन झील सी गहरी आँखों में,
कहाँ तैरना आता था,मासूम हमारे ख्वाबों को.
"गगन"
2 टिप्पणियां:
Unknown
6 मार्च 2013 को 5:31 pm बजे
very nice
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JAY SINGH"GAGAN"
6 मार्च 2013 को 9:58 pm बजे
Aap ka Tah-E-Dil se Shukriya Rani Madam.
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very nice
जवाब देंहटाएंAap ka Tah-E-Dil se Shukriya Rani Madam.
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