गगन
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जुदाई.
सोच.
मर्यादा .
ख्वाहिश.
मशवरा
बज़ट
विकास देखिये.
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बुधवार, 19 सितंबर 2012
कशिश.
तुम दिल से जुदा यूँ जब से हुए, वह तुम्हे पुकारा करता है.
हर मिलने जुलने वालों से मिलते ही किनारा करता है.
गैरों की बाहें मिली मगर,वो उसे सहारा दे न सकी,
वो हर कमसिन की आँखों में बस तुम्हें निहारा करता है.
"गगन"
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