गगन
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मेरी तनहाइयाँ
सज़दा
ख्वाब
याद
इंतज़ार
माँ
माँ और बचपन
आओ सावन
चल चंदा उस देश.
तुम्हें क्या नाम दूं
आईना
दर्द
मासूम आंसू.
जुदाई.
सोच.
मर्यादा .
ख्वाहिश.
मशवरा
बज़ट
विकास देखिये.
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सोमवार, 24 सितंबर 2012
जरूरत.
आसमान को पड़ी जरूरत तारों को समझाने की.
.
सबने मिलकर कोशिश की है शायद चाँद चुराने की.
"गगन"
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