गगन
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मेरी तनहाइयाँ
सज़दा
ख्वाब
याद
इंतज़ार
माँ
माँ और बचपन
आओ सावन
चल चंदा उस देश.
तुम्हें क्या नाम दूं
आईना
दर्द
मासूम आंसू.
जुदाई.
सोच.
मर्यादा .
ख्वाहिश.
मशवरा
बज़ट
विकास देखिये.
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सोमवार, 9 जुलाई 2012
दर्द-ए-दिल.
दर्द-ए-दिल यूँ देकर मत लो इम्तहान इन आँखों का,
अश्कों का सैलाब बहा तो सागर कम पड़ जाएगा.
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