गगन
पेज
(यहां ले जाएं ...)
मेरी तनहाइयाँ
सज़दा
ख्वाब
याद
इंतज़ार
माँ
माँ और बचपन
आओ सावन
चल चंदा उस देश.
तुम्हें क्या नाम दूं
आईना
दर्द
मासूम आंसू.
जुदाई.
सोच.
मर्यादा .
ख्वाहिश.
मशवरा
बज़ट
विकास देखिये.
▼
गुरुवार, 2 फ़रवरी 2012
भ्रम
संसद में रोटी का मुद्दा,फिर शायद गरमायेगा.
यह बजट तो इस कलंक को,अब की बार मिटाएगा.
कंकड,पत्थर रख हांडी में,माँ फिर उसे पकायेगी,
फिर से उसका भूखा बेटा,भ्रम खाकर सो जाएगा.
जय सिंह"गगन"
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें