गगन
पेज
(यहां ले जाएं ...)
मेरी तनहाइयाँ
सज़दा
ख्वाब
याद
इंतज़ार
माँ
माँ और बचपन
आओ सावन
चल चंदा उस देश.
तुम्हें क्या नाम दूं
आईना
दर्द
मासूम आंसू.
जुदाई.
सोच.
मर्यादा .
ख्वाहिश.
मशवरा
बज़ट
विकास देखिये.
▼
गुरुवार, 26 जनवरी 2012
चुनर मिलती है, मगर धानी नही मिलती.
उम्र ढल जाए तो रवानी नही मिलती.
रात गुज़रे न सूरज को रोके रखना.
खिली हुई धूप में"रात की रानी"नही मिलती.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें