गगन
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मेरी तनहाइयाँ
सज़दा
ख्वाब
याद
इंतज़ार
माँ
माँ और बचपन
आओ सावन
चल चंदा उस देश.
तुम्हें क्या नाम दूं
आईना
दर्द
मासूम आंसू.
जुदाई.
सोच.
मर्यादा .
ख्वाहिश.
मशवरा
बज़ट
विकास देखिये.
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गुरुवार, 26 जनवरी 2012
वो उनके घर का दरवाजा
वो उनके घर का दरवाजा जो अक्सर बंद रहता है.
वो मे गुलबदन मेरा, वहीं मकरंद रहता है.
बिखर जाते हैं मेरे शब्द बिन दीदार के उनके,
उन्हीं के सुर्ख होठों पर हमारा छन्द रहता है.
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