गगन
पेज
(यहां ले जाएं ...)
मेरी तनहाइयाँ
सज़दा
ख्वाब
याद
इंतज़ार
माँ
माँ और बचपन
आओ सावन
चल चंदा उस देश.
तुम्हें क्या नाम दूं
आईना
दर्द
मासूम आंसू.
जुदाई.
सोच.
मर्यादा .
ख्वाहिश.
मशवरा
बज़ट
विकास देखिये.
▼
बज़ट
इस बजट ने फिर से फूंकी,चिता मेरे अरमानो की.
मेरा ही चेहरा कहता सच , मेरे नए बहानों की.
बच्चों की फरमाइश लेकर,दफ्तर रोज निकलता हूँ,
आते-आते फट जाती है , सूची उन सामानों की.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें