गगन
पेज
(यहां ले जाएं ...)
मेरी तनहाइयाँ
सज़दा
ख्वाब
याद
इंतज़ार
माँ
माँ और बचपन
आओ सावन
चल चंदा उस देश.
तुम्हें क्या नाम दूं
आईना
दर्द
मासूम आंसू.
जुदाई.
सोच.
मर्यादा .
ख्वाहिश.
मशवरा
बज़ट
विकास देखिये.
▼
दर्द
दिल का दर्द तराना बनकर,होठों तक तो आता है.
अश्कों की दरिया में डूबा,आँखों से बह जाता है.
मर जाते हैं छंद हमारे,घर की चार दीवारी में,
जब माँ की गोदी में बच्चा,भूखा ही सो जाता है.
जय सिंह"गगन"
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें