गगन
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मेरी तनहाइयाँ
सज़दा
ख्वाब
याद
इंतज़ार
माँ
माँ और बचपन
आओ सावन
चल चंदा उस देश.
तुम्हें क्या नाम दूं
आईना
दर्द
मासूम आंसू.
जुदाई.
सोच.
मर्यादा .
ख्वाहिश.
मशवरा
बज़ट
विकास देखिये.
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मंगलवार, 25 सितंबर 2012
एक ख़त महबूब के नाम (रिकार्डिंग).
EK KHAT MEHBOOB KE NAAM
1 टिप्पणी:
Manish
14 सितंबर 2021 को 4:54 am बजे
मित्र गगन सिर्फ तुम्हारा तखल्लुस नही ,मुकाम है जहां तुम साहित्य के क्षेत्र में चमकने लगे हो।
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मित्र गगन सिर्फ तुम्हारा तखल्लुस नही ,मुकाम है जहां तुम साहित्य के क्षेत्र में चमकने लगे हो।
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